हमारी गुरु कुल शिक्षा
अगर हर जिले मे कम से एक गुरुकुल हो तो देश की दशा बदल सकती है ! यहाँ के विद्यार्थियों के सामान्य ज्ञान की तुलना अगर आज के सड़कछाप और पाश्चात्य ईसाई शिक्षा आधारित स्कूलों के विद्यार्थियों के साथ की जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है हमारी भूल यही है की हम उन्नति का अर्थ पश्चिम के जीवन को समझते है हम खुद क्या है यह समझना आवश्यक है !
स्कूलों मे जिंगल बेल और त्विंकल के स्टार सिखाने से लाख बेहतर है की ये हमारी प्राचीन और वैज्ञानिक, आध्यात्मिकता आधारित गुरुकुल की शिक्षा दी जाये और बच्चो का सम्पूर्ण विकास करें न की उन्हें मार्केटिंग का मोहरा बनाए और किसी MNC के नौकर बनाने के लिए बड़ा करें .
हमारे राजा महाराजा भी गुरुकुल मे ही शिक्षा लिया करते थी . वहां उन्हें प्राणायाम ,योग ,सूर्य नमस्कार , एवं सायं की शिक्षा दी जाती थी , उन्हें धर्यवान बनाया जाता था . ताकि वो भविष्य मे आने वाली बड़ी से बड़ी समस्या का भी कर सके .
अगर हर जिले मे कम से एक गुरुकुल हो तो देश की दशा बदल सकती है ! यहाँ के विद्यार्थियों के सामान्य ज्ञान की तुलना अगर आज के सड़कछाप और पाश्चात्य ईसाई शिक्षा आधारित स्कूलों के विद्यार्थियों के साथ की जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है हमारी भूल यही है की हम उन्नति का अर्थ पश्चिम के जीवन को समझते है हम खुद क्या है यह समझना आवश्यक है !
स्कूलों मे जिंगल बेल और त्विंकल के स्टार सिखाने से लाख बेहतर है की ये हमारी प्राचीन और वैज्ञानिक, आध्यात्मिकता आधारित गुरुकुल की शिक्षा दी जाये और बच्चो का सम्पूर्ण विकास करें न की उन्हें मार्केटिंग का मोहरा बनाए और किसी MNC के नौकर बनाने के लिए बड़ा करें .
हमारे राजा महाराजा भी गुरुकुल मे ही शिक्षा लिया करते थी . वहां उन्हें प्राणायाम ,योग ,सूर्य नमस्कार , एवं सायं की शिक्षा दी जाती थी , उन्हें धर्यवान बनाया जाता था . ताकि वो भविष्य मे आने वाली बड़ी से बड़ी समस्या का भी कर सके .
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